Tuesday, 26 July 2016

गुजराती शेर संग्रह 1

Here are the collection of some Gujarati Sher written on 29th of May, 2016.

1)
ह्दयनी वराळ थईने नीकळे छे,
आंसू एवी राड थईने नीकळे छे ।
- प्रतिक

2)
शुं समजावुं दुनियाने शुं कहुं केम केवी छे ?
जिंदगी तारा विना बस बददुआ जेवी छे ।
- प्रतिक

3)
थोडीक तारी याद ने थोडाक मारा आंसू,
रोज सांजे आवे छे आंखोमां चोमासु ।
- प्रतिक

4)
शुं कहु के तारा विना मने केवुं लागे छे ?
बस दरेक श्वासे दरेक वाते लागी आवे छे ।
- प्रतिक

5)
एक श्वास जेटलुं पण जीवी नथी शकती,
तने भूलवानी ईच्छा टकी नथी शकती ।
- प्रतिक

6)
मारी शायरी एटले बीजुं कशुं पण नथी,
तारा माटे बेफाम रडवानी कळा सिवाय ।
- प्रतिक

7)
थोडुक तो दयानुं हवे नाम रहेवा दे,
मने तारा प्रेममां बदनाम रहेवा दे ।
- प्रतिक

8)
मारा तमाम दरदनी दवा तु,
हुं श्वास खरो पण हवा तु ।
- प्रतिक

हिंदी शेर संग्रह 1

Here are some Hindi Sher written on 27th of May, 2016.

1)
लफ्ज खत्म हो गए तुजको बयां करते करते,
महोब्बत रोज मीलती है नये नये लिबास में ।
- प्रतिक

2)
युं वक्त बेवक्त ख्यालों में ना आया करो,
थोडा तसव्वुर थोडी तोहिन बजाया करो,
लोग रूठ जाते है मुझसे युं ही बेवजह,
तुम भी कभी रूठा करो कभी मनाया करो।
- प्रतिक

3)
वो हिन्दू नहीं होता वो मुसलमान नहीं होता,
मजहब के नाम पर लडता है वो इन्सान नहीं होता ।
- प्रतिक

4)
शैतानों के बच्चे भी पैदा होते हैं,
तभी तो ये कौमी दंगे होते हैं ।
- प्रतिक

5)
राम और रहीम का भी खुन खौलता है,
जब कोइ उनके नाम से पथ्थर फेंकता है ।
- प्रतिक

6)
जो मजहब के नाम पर हथियार उठाती है,
वो शैतानों की नाजायज औलाद होती है ।
- प्रतिक

7)
तेरे अल्लाह और इश्वर का मतलब तो बता,
पहेले तु दोनों से मील फिर दोनों में फर्क तो बता ।
- प्रतिक

8)
मजहब के नाम पर, सब जगह सियासत होती है,
हम पागल है, हमें तो आज भी महोब्बत होती है ।
- प्रतिक

9)
उस बच्चे के साथ इश्वर भी रोया था खुदा भी रोया था,
जिसकी मा कल दंगो में नोची गई थी, खरोंची गई थी ।
- प्रतिक

10)
मेरा मजहब कभी कोई मुझसे पुछ के देखो,
तुम्हारी रूह चीर दूंगा, 'इन्सानियत' बता कर ।
- प्रतिक

11)
बच्चा बनके जो खिलौनों से कल खेल रहा था,
वो खुदा ही था जिसको तुने मजहब बता कर मार डाला ।
- प्रतिक

12)
तुम्हें लडना है मजहब के नाम पर ? तो बेशक लडो,
पर पहले अपने बदन पे लिखा अपना मजहब तो बता ।
- प्रतिक

13)
कौन केहता है कि उसको दर्द नहीं होता ?
खुदा हर शाम रोता है कुछ मासूम लाशों पर ।
- प्रतिक

14)
वक्त के सिने पर मैं तलवार रखता हूं,
जब भी मैं कागज पर कलम से लिखता हूं ।
- प्रतिक

15)
वो फिक्र तो आज भी करती है,
पर अब हमसे जिक्र नहीं करती ।
- प्रतिक

16)
तुजे मेरी जरूरत नहीं, पर मुझे तो है,
तुझे महोब्बत नहीं, पर मुझे तो है ।
- प्रतिक

17)
उसने कहा था कि हम तुम्हें छोड कर जा रहे है,
माँ कसम आज भी वो गइ नहीं हमे छोडके ।
- प्रतिक

18)
एक सवाल का जवाब मुझे आज भी नहीं मिला,
मेरे दिल में धडकनों की जगह तु कब से आ गई है ?
- प्रतिक

19)
हमारे आंसुओं के सूखने की दुआ करती है,
जो कभी हमारे मुस्कुराने की वजह बन गई थी ।
- प्रतिक

20)
अपने आइने से भी खुदको छुपा के रखा है,
उसने दर्द-ए-महोब्बत यु दबा के रखा है ।
- प्रतिक

21)
अब तो आंखों में नींद का अकाल लगता है,
एक टूटा हुआ ख्वाब अब भी चुभता है ।
- प्रतिक

22)
मोतियों की खेती आंखो से होती है,
महोब्बत मेरे दोस्त ऐसे होती है ।
- प्रतिक

23)
वो अपना जख्मी दिल भी हमको देकर गया,
जो चोर हमारा दर्द-ए-महोब्बत चुराने आया था ।
- प्रतिक

24)
मेरे दिल के खाली बक्से में और क्या होता ?
तेरी यादें, महोब्बत और चंद आहों के सिवा ?
- प्रतिक

25)
सुना है महफिल में जो सबसे बडा शायर होता है,
हकिकत में वो ही सबसे ज्यादा घायल होता है ।
- प्रतिक

26)
मेरी महोब्बत मेरे मुकद्दर में क्यों नहीं है ?
वो मेरी तो है पर मेरी क्यों नहीं है ?
- प्रतिक

Monday, 18 July 2016

Dare to Share

जो भी व्यक्ति सरकार से फिक्स वेतन का विरोध करना चाहता है, उनसे एक नम्र निवेदन है,

आपको मिलनेवाले फिक्स वेतन के विरोधी फोटोग्राफ्स आप कम से कम दस व्यक्तियों को Share जरूर करें ।

यही है विरोध का नया सूत्र :-
Dare to Share, Share to Ten.

याद रखें :- चिडिया भी सागर पी सकती है ।

Friday, 15 July 2016

खुद को छुपा के रखा है

अपने आइने से भी खुदको छुपा के रखा है,
उसने दर्द-ए-महोब्बत यु दबा के रखा है ।
- प्रतिक

तेरे जाने के बाद

What will be the answer of this sum ?
What will be left in me after you left ?
- Pratik

मुस्कान की वजह

हमारे आंसुओं के सूखने की दुआ करती है,
जो कभी हमारे मुस्कुराने की वजह बन गई थी ।
- प्रतिक

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