Saturday, 4 June 2016

मुजरिम

लिखती हो कलम तो टोकते नहीं,
कोइ बोलता हो तो उसे रोकते नहीं,
सच और झूठ का फैसला होने से पहले,
हर किसी को मुजरिम समजते नहीं ।
- प्रतिक

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