Monday, 30 May 2016

तेरी यादें

कडी धूप में घनी छांव जैसी है,
तेरी महोब्बत समंदर में नाव जैसी है,
अकेला हु पर अकेला नहीं कहीं भी,
तेरी यादें एक अकेले गांव जैसी है I
- प्रतिक

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...