जिस तरह हम बीज बोते है, उसको सिंचते है और उसे बहुत बडा वृक्ष बनाते हैं और जब उसकी कुछ शाखाएं या वह पुरा पेड हमें अनुचित लगता है तो उस पेड को या उसकी शाखाओं को काट देते हैं ।
ठिक उसी तरह का व्यवहार कभी कभी मातापिता अपने संतानों के प्रेम संबंधों के साथ करते हैं ।
एसे अनादरणिय मातापिता को मेरा प्रणाम । - प्रतिक
No comments:
Post a Comment