Sunday, 15 May 2016

एक बेटे की पीडा

आदरणीय प्रधानमंत्री श्री,

अपना पेट काट - काट कर जिसको पढाया, वही बेटा जब नोकरी मिलने के बाद भी पांच - पांच साल तक पिता के सर पर बोझ बनके जीता है, इस पीडा को हम आपको कैसे समझाये ?

फिक्स वेतन रद्द ना करो तो कोई बात नहीं, पर हमको नोकरी पर से आधे दिन के लिए मजदूरी पर जाने की आप अनुमति देंगे ?

फिक्सेशन आधुनिक समाज का दूषण है I

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