आदरणीय प्रधानमंत्री श्री,
अपना पेट काट - काट कर जिसको पढाया, वही बेटा जब नोकरी मिलने के बाद भी पांच - पांच साल तक पिता के सर पर बोझ बनके जीता है, इस पीडा को हम आपको कैसे समझाये ?
फिक्स वेतन रद्द ना करो तो कोई बात नहीं, पर हमको नोकरी पर से आधे दिन के लिए मजदूरी पर जाने की आप अनुमति देंगे ?
फिक्सेशन आधुनिक समाज का दूषण है I
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