आदरणीय प्रधानमंत्री श्री,
कहते है कि जिवन अमूल्य है, इसका हर क्षण अमूल्य है । लेकिन पांच साल तक आर्थिक किल्लत सहनेवाले युवा के दर्द का आपको अंदाज है ?
क्या 'फिक्सेशन' को भारतीय संविधान के मूल तत्व 'समानता के अधिकार' का खुल्लेआम मजाक नहीं कह सकते ?
जो सरकार संविधान को ही न मानती हो उसको क्या हम असंवैधानिक नहीं कह सकते ?
क्या अभी भी आनेवाली पीढियों को 'फिक्सेशन' की गुलामी से आजाद करने का समय नहीं आया ?
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